Wednesday 9 March 2016

 पूज्य प्रधान सेवक एवं प्रधान मंत्री जी 



बजट २०१६ : मिलिनियर और बिलिनियर के लिए 



अमीर आदमी का बजट िकसी भी बजट को समझने के िलए राःता एक ही है। बजट आम आदमी का है िक अमीर आदमी का इसके िलए देखना है िक सरकार ूत्यक्ष टैक्स का पैसा वसूल कर रहा हैया नहीं। यिद ूत्यक्ष टैक्स का हर एक पैसा वह वसूल कर रहा हैतो िबना कोई िहचिकचाहट के हम कह सकते हैंिक बजट आम अदमी का ही है। क्योंिक यही वह पैसा हैजो देश के अमीर सरकार को िदया करते हैं, और िजस पैसा से आम अदमी की सेवा करने का मौका िमलता है सरकार को। इस बार जब जानलेवा महँगाई सता रहा हैआम आदमी को, तब इस साल इस पैसा को ठीक तरह से वसूल करना ही िकसी अथमर् ंऽी का एकमाऽ लआय होना चािहए था। सो हु आ नहीं, उसके बदले ूणव मुखजीर् ने अमीर आदमी को ठेस न पहुँचाने का ही बजट बनवाया।

यद्यिप ूत्यक्ष टैक्स में 11,500 करोड़ रूपए की राहत घोषणा हो चुकी हैपर परोक्ष टैक्स में 11,300 करोड़ रूपए उठाया जाने की सूचना हु ई है। िपछले साल यही सरकार अमीरों के िलए 3,61,415 करोड़ रूपए मूल्य की व्यिक्तगत और व्यवसाियक टैक्स की छुट दी थी। यह रूपए यिद सरकार के पास होता तो न जाने आज चावल-दाल-प्याँज़ हमें िकतने कम रूपयों में िमल सकता था। एक भारी भरकम अंमेज़ी नाम के आढ़ में हर साल अपने देश में काले रूपए पनपते रहते हैं। वह है िडिटएए, इसी राःता से देश में िवदेशी पुँजी का 42% िहःसा घूँसता है, जो काला रूपया को सफ़ेद करने का ज़रीया है। उस राःते को बन्द करने की कोई इच्छा व्यक्त नहीं हु आ बजट से। िवदेश से लगभग 80 लाख करोड़ का रूपया िजसपर हर भारतीय का अिधकार है, उसको लाने का कोई भी इंतज़ाम नहीं हु आ। जब अपने देश में ूत्यक्ष टैक्स देने वाले अमीर मँहगाई से एयादा परेशान नहीं हो रहे हैं। होने का सवाल भी उठता, क्योंिक ये लोग महीने में कम से कम 1 या आधा लाख आँख बन्द करके रोज़गार कर ही लेते हैं, कोई कोई 4 करोड़ भी करते हैं। इसिलए चावल 20 रूपए िकलो हो या 50 रूपए, उनको क्या फ़कर् पड़ता है। अब इन्हीं को खुश करने के िलए बजट में िकसानों के पेट में लाथ मारा गया है, तो दसरी ू ओर 100 िदन के काम के िलए पैसा भी घटाया गया है। बजट के कई िचऽ :- 1. िपछले साल महँगाई जब बढ़ती ही जा रही थी जो अभी तक घटी नहीं है, ूधानमंऽी ने कहा था अपने देश में बािरश कम होने के कारण और खेती बारी में खचर् बढ़ जाने के कारण ही खाने के आवँयक सामान इस तरह से महँगा होते जा रहे हैं। देख लेते हैंिक अगले साल अपने देश की सरकार िकस तरह से खचर् चलाने वाला है िजससे अगले साल िकसानों की खुदखुशीयों की घटनाएँथोड़ा सा कम हों। िपछले 13 सालों में मेंगईं लाख 15 हज़ार िकसान अपना जान ले चुकें हैं। मगर सरकार ने तो िपछले साल से भी 387 करोड़ रुपया घटाया है। 2. बीज, िवकास, उत्पादन और बाँटने के क्षेऽ में 4 करोड़ रुपया घटाया है। 3. रेशन व्यवःथा में 6415 करोड़ रूपए घटाए गए हैं। 4. खाद्य सुरक्षा के बारे में इतना ूचार करने के बावजुद आज बजट में 27 करोड़ रुपया घटाया गया है। 5. 100 िदन के काम में 100 करोड़ रूपए घटाए गए। 6. सार के िलए सरकार 5000 करोड़ रूपया कम खचर् वाला है। यह िसलिसला िपछले कई सालों से चलाया जा रहा है। पुँजीपितयों और अमीरों के िलए ममता बैनजीर् और सोिनया गांधी की सरकार का इतना ददर् क्यों है। इस राज़ का उत्तर क्या है? अमीर और अमीर होने का ूणव मुखजीर् से क्या लेना देना? िकस कारण इतने गाली और इतने ौाप ये लोग हज़म करते रहतें हैं? इसका मतलब है िक अमीर और अमीर होने से इन लोगों को उस रकम का िहःसा िमलता है। यह कहानी आज साफ़ िदखाई दे रहा है, वीजीलेन्स किमशन के टामस के मामले को देखकर। ॅषाचारों की तहकीकात के िलए बना वीजीलेंस किमशन का ूधान कौन बनेगा इसकी िज़म्मेदारी सौंपा जाता हैएक तीन सदःय वाले कमेटी को। वह तीन सदःय हैंूधानमंऽी, ःवराष्टर् मंऽी और िवरोधी दलनेता। सुनने को आ रहा है िक उस कमेटी के सामने चुनने के िलए चार नाम थे। िवरोधी दलनेऽी टामस के नाम को ःवीकार नहीम की थी। िफ़र भी बकी दोनो ने टामस को ही िबठाने के िलए िज़द्द िकया। क्यों? काफ़ी पैसों का मामला था!